जयेष्ठ अमावस्या 3 जून का दिन अतिमहत्वपूर्ण हैं। इस दिन एक साथ कई संयोग पड़ रहे हैं। वट सावित्री व्रत के साथ सोमवती अमावस्या व शनि जयंती एक साथ मनाई जाएगी। कई योगों के संयोग भी इसी दिन पड़ेंगे। चंद्र अधि, सर्वार्थ सिद्धि व त्रिग्रही योग का संयोग भी रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग सूर्योदय से लेकर रात्रि अंत तक रहेगा। इस दिन अमावस्या चंद्रवार के दिन होने से चंद्र अधि योग की भी निष्पत्ति भी होगी। मिथुन राशि मे मंगल बुद्ध और राहु से त्रिग्रही योग बनेगा। पं. पवन मिश्र ने बताया कि इन योगों में पूजन और दान-पुण्य करने से पितृ दोष की शांति, शनि के अशुभ प्रभाव का निवारण और पति व बच्चों की दीर्घायु होती है।
इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा से दरिद्रता मिटती है ।
इस दिन वट सावित्री व्रत रखने वाली सुहागिनें वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु का पूजन करके पति व बच्चों की दीर्घायु होने की कामना करती हैं। वहीं, सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है। इसके बाद क्षमता के अनुसार दान किया जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। तीर्थ स्नान का भी खास महत्व रहता है। सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों का दान का फल मिलता है।